क्राइम न्यूज. रूस की राजधानी मॉस्को में मंगलवार को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात की। यह मुलाकात उस समय हुई जब एक दिन पहले रूस के कालिनिनग्राद स्थित यांतर शिपयार्ड में भारतीय नौसेना के लिए नवीनतम मल्टी-रोल स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट, आईएनएस तुशील, का औपचारिक कमीशनिंग किया गया था। इस कदम को अमेरिका सहित अन्य वैश्विक शक्तियां करीब से देख रही हैं, और यह भारत-रूस रक्षा सहयोग को और मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
उच्च स्तरीय बैठक: सामरिक सहयोग पर चर्चा
पुतिन के साथ इस बैठक में राजनाथ सिंह के साथ रूस में भारत के राजदूत विनय कुमार और रूसी रक्षा मंत्री आंद्रे बेलोसोव भी उपस्थित थे। यह मुलाकात 21वें भारत-रूस अंतर-सरकारी आयोग (IRIGC-M&MTC) के सत्र के दौरान हुई। रक्षा मंत्रालय के बयान के अनुसार, राजनाथ सिंह ने पुतिन से कहा, “हमारे देशों की दोस्ती सबसे ऊंचे पहाड़ों और सबसे गहरे समुद्रों से भी अधिक मजबूत है। भारत हमेशा अपने रूसी मित्रों के साथ खड़ा रहा है और भविष्य में भी खड़ा रहेगा।”
भारत-रूस की संयुक्त क्षमता का प्रतीक
आईएनएस तुशील परियोजना 1135.6 के तहत अपग्रेडेड क्रिवाक III क्लास फ्रिगेट है। भारतीय नौसेना के लिए इस श्रृंखला की छह अन्य जहाज पहले से सेवा में हैं। यह सातवां और अपग्रेडेड फ्रिगेट है, जिसका अनुबंध अक्टूबर 2016 में भारत सरकार, जेएससी रोसोबोरोनएक्सपोर्ट और भारतीय नौसेना के बीच हुआ था। इस अनुबंध के तहत चार स्टील्थ फ्रिगेट बनाए जाने थे, जिनमें से दो रूस में और दो भारत में निर्मित होने थे।
नौसेना की क्षमताओं को नया आयाम
आईएनएस तुशील को नीले पानी (ब्लू वॉटर) में चारों प्रकार के युद्ध (हवाई, सतह, पनडुब्बी और इलेक्ट्रोमैग्नेटिक) संचालन के लिए डिज़ाइन किया गया है। यह आधुनिक हथियारों से लैस है, जिनमें ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइलें, लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें, एंटी-सबमरीन टॉरपीडो और उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणाली शामिल हैं।
सागर और भारत-रूस साझेदारी
राजनाथ सिंह ने सोमवार को आईएनएस तुशील के लॉन्च के दौरान इसे भारत और रूस की संयुक्त औद्योगिक क्षमता का प्रमाण बताया। उन्होंने कहा, “यह जहाज भारत की तकनीकी उत्कृष्टता और रूस के साथ सहयोग की यात्रा को दर्शाता है।” सिंह ने “सागर” (सिक्योरिटी एंड ग्रोथ फॉर ऑल इन द रीजन) के तहत भारतीय नौसेना की भूमिका पर जोर देते हुए कहा कि सामूहिक सुरक्षा और समुद्री सहयोग के लिए रूस हमेशा भारत का समर्थन करता रहा है।
इस बैठक और फ्रिगेट कमीशनिंग से भारत-रूस के ऐतिहासिक रक्षा संबंध और मजबूत हुए हैं, जो दोनों देशों की सामरिक साझेदारी का प्रतीक है।

























