क्राइम न्यूज. यूपी बिजली चोरी और बिजली वितरण कंपनियों के घाटे ने राज्य को कर्ज, राजनीति और निजीकरण के विरोध के दलदल में फंसा दिया है। बिजली विभाग अब बिजली चोरी के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई कर रहा है। संभल में अपने ताजा कदम में समाजवादी पार्टी के सांसद जियाउर रहमान बर्क पर बिजली चोरी के आरोप में मुकदमा दर्ज किया गया है। हालांकि, यूपी में बिजली चोरी सिर्फ संभल में ही नहीं बल्कि पूरे यूपी में बड़े पैमाने पर हो रही है। आंकड़ों के मुताबिक, राज्य में हर साल 5,000 करोड़ रुपये की बिजली चोरी की जाती है।
एक हजार से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो चुके हैं
यूपी के संभल में हुई हिंसा के बाद से अतिक्रमण और बिजली चोरी के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाया जा रहा है। जांच के दौरान संभल में बड़े पैमाने पर अवैध कनेक्शन लगाकर बिजली चोरी के मामले सामने आए हैं। इस मामले में अब तक एक हजार से ज्यादा मुकदमे दर्ज हो चुके हैं।
हर साल कितनी बिजली ‘चोरी’ होती है?
उत्तर प्रदेश में हर साल करीब एक लाख बीस हजार मिलियन यूनिट बिजली खरीदी जाती है। इसमें से 5,000 करोड़ रुपये की बिजली ‘चोरी’ हो जाती है। एबीपी न्यूज के पास मौजूद आंकड़ों के मुताबिक पश्चिमी उत्तर प्रदेश विद्युत वितरण निगम लिमिटेड को सहारनपुर जोन में 24.62 फीसदी तक का वितरण घाटा उठाना पड़ा है।
12.09 प्रतिशत वितरण घाटा हुआ
पश्चिमी क्षेत्र के मुरादाबाद जोन में 18.43 प्रतिशत तक वितरण घाटा है। यही हाल दक्षिणांचल निगम लिमिटेड का है, जिसे बांदा जोन में 24.22 प्रतिशत तक वितरण घाटा हुआ। मध्यांचल निगम लिमिटेड के यहां देवीपाटन जोन में 21.76 प्रतिशत, पूर्वांचल निगम लिमिटेड के आजमगढ़ जोन में 19.29 प्रतिशत और केस्को क्षेत्र में 12.09 प्रतिशत वितरण घाटा हुआ।
बकाएदार से बकाया वसूलें
संभल के बाद यूपीपीसीएल अब पूरे यूपी में बिजली चोरी के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाएगा। निगम के चेयरमैन आशीष गोयल ने मंगलवार को शक्ति भवन में सभी डिस्कॉम के कार्यों की समीक्षा की और उन्हें निर्देश दिए कि वे मेगा अभियान चलाकर बिजली चोरी के खिलाफ सख्त कार्रवाई करें और हर बकाएदार से बकाया वसूलें।
बिजली चोरी कारण हुआ भारी नुकसान
बिजली चोरी के कारण उत्तर प्रदेश में बिजली वितरण कंपनियों को भारी नुकसान हुआ है, जिसके कारण उन्हें निजीकरण की ओर कदम बढ़ाने पर मजबूर होना पड़ा है। हालांकि, इस प्रस्ताव से राज्य बिजली बोर्ड के कर्मचारी नाराज हैं और वे इस कदम का विरोध कर रहे हैं। उन्होंने जन जागरूकता अभियान शुरू किया है और मांग की है कि घाटे को कम करने और लाभ में लाने के लिए बोर्ड का प्रबंधन कर्मचारी संघ को सौंपा जाए।

























