घरेलू शेयर बाजार पिछले पांच महीनों से भारी गिरावट के दौर से गुजर रहा है। निफ्टी अपने रिकॉर्ड उच्च स्तर से 14.19% गिर चुका है, जबकि सेंसेक्स 13.23% गिर चुका है। दोनों सूचकांक सितंबर 2024 में अपने सर्वकालिक उच्च स्तर को छू लेंगे, लेकिन उसके बाद इनमें गिरावट जारी रहेगी। बाजार में इस तीव्र गिरावट का सबसे बड़ा कारण विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) द्वारा भारी बिकवाली थी। 2025 में अब तक एफआईआई ने 1 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है। मास्टर ट्रस्ट ग्रुप के निदेशक पुनीत सिंघानिया के अनुसार, “अमेरिकी डॉलर की मजबूती, भारतीय बाजार में उच्च मूल्यांकन और वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण एफआईआई अपना निवेश चीन जैसे आकर्षक बाजारों की ओर स्थानांतरित कर रहे हैं।”
तिमाही नतीजों ने भी डाला दबाव
बाजार में गिरावट का एक अन्य प्रमुख कारण कई कंपनियों के कमजोर तिमाही नतीजे थे। ऑटोमोबाइल, निर्माण सामग्री और उपभोक्ता क्षेत्र की कंपनियों की आय उम्मीदों से कम रही, जिससे निवेशकों की धारणा कमजोर हुई। भारत में फोर्विस मजार्स के पार्टनर अखिल पुरी के अनुसार, “कमजोर तिमाही नतीजों ने कंपनियों की भविष्य की लाभप्रदता पर सवाल खड़े कर दिए हैं, जिससे बिक्री का दबाव बढ़ गया है।”
ट्रम्प की व्यापार नीतियों का प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के सत्ता में लौटने के बाद से व्यापार युद्ध को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। अमेरिका ने स्टील और एल्युमीनियम के आयात पर 25% शुल्क लगाने का निर्णय लिया है, जिससे वैश्विक बाजारों में अस्थिरता पैदा हो गई है। सिंघानिया के अनुसार, “यदि अमेरिकी व्यापार नीतियां सख्त होती हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था धीमी होती है, तो भारतीय बाजार और अधिक दबाव में आ सकता है।”

























