International News: ईरान और इजरायल के बीच चल रहा संघर्ष अब गंभीर मोड़ ले चुका है। ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स (जिसे पहले ट्विटर के नाम से जाना जाता था) पर एक उग्र पोस्ट किया और लिखा, “युद्ध शुरू हो गया है।” उन्होंने इस पोस्ट में “अली खैबर लौट आए हैं” जैसे ऐतिहासिक और धार्मिक संकेतों का भी इस्तेमाल किया, जो हमें 7वीं शताब्दी में खैबर के यहूदी किले पर जीत की याद दिलाता है। उनके इस बयान को इजरायल के खिलाफ खुली चेतावनी माना जा रहा है।
पोस्ट में एक योद्धा तलवार लेकर जलते आसमान में किले की ओर बढ़ता हुआ दिख रहा है। कुछ मिनट बाद खामेनेई ने एक और पोस्ट किया जिसमें उन्होंने लिखा, “हमें आतंकी यहूदी शासन को कड़ा जवाब देना चाहिए। ज़ायोनीवादियों के लिए कोई दया नहीं होगी।” यह भाषा स्पष्ट रूप से युद्ध की घोषणा जैसी है और इसका उद्देश्य इजरायल को मानसिक दबाव में डालना भी हो सकता है।
मिसाइल हमलों से तेल अवीव दहल उठा
यह पूरा विवाद अब अपने छठे दिन में प्रवेश कर चुका है। इजरायली रक्षा बलों के अनुसार, बुधवार सुबह के पहले दो घंटों में ईरान की ओर से दो मिसाइल हमले दर्ज किए गए। तेल अवीव और आस-पास के इलाकों में कई मिसाइलों के गिरने की पुष्टि हुई है, जिससे पूरे क्षेत्र में जोरदार धमाके और दहशत फैल गई। इजराइल की आयरन डोम प्रणाली ने कुछ मिसाइलों को हवा में ही नष्ट कर दिया, लेकिन तनाव कम नहीं हुआ।
ट्रम्प का जवाबी हमला
खामेनेई के बयान के कुछ घंटों बाद ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपनी सोशल मीडिया साइट ‘ट्रुथ सोशल’ पर आक्रामक पोस्ट डाली। उन्होंने लिखा, “ईरान के पास ट्रैकिंग सिस्टम और रक्षा उपकरण हैं, लेकिन वे अमेरिकी तकनीक के सामने टिक नहीं सकते। हम जानते हैं कि यह तथाकथित ‘सर्वोच्च नेता’ कहाँ छिपा है। हम उसे अभी नहीं मार रहे हैं… कम से कम अभी तो नहीं। लेकिन हमारा धैर्य अब खत्म हो रहा है।” इसके बाद ट्रम्प ने मात्र तीन मिनट में एक और पोस्ट किया: “बिना शर्त आत्मसमर्पण!” – यानि बिना शर्त आत्मसमर्पण, जो अमेरिका की आक्रामक नीति का स्पष्ट संकेत है।
USA तैयारियां तेज; ट्रंप जी-7 शिखर सम्मेलन से लौटे
पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव के चलते ट्रंप ने जी-7 शिखर सम्मेलन को बीच में ही छोड़कर राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के साथ आपात बैठक की। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अमेरिका ने मध्य पूर्व में और लड़ाकू विमान तैनात कर दिए हैं और मौजूदा सेनाओं की तैनाती अवधि भी बढ़ा दी गई है। अमेरिका अब ईरान के भूमिगत परमाणु स्थलों को नष्ट करने के विकल्प पर गंभीरता से विचार कर रहा है।
क्या इसका कोई कूटनीतिक समाधान निकलेगा?
विशेषज्ञों की मानें तो अगर दोनों पक्ष पीछे नहीं हटे तो यह संघर्ष जल्द ही एक बड़े युद्ध में बदल सकता है। खामेनेई की धार्मिक चेतावनी और ट्रंप की सैन्य धमकी दोनों ही संयम की सीमा पार कर चुकी हैं। यह स्थिति अब सिर्फ़ दो देशों की नहीं बल्कि पूरे पश्चिम एशिया की सुरक्षा और स्थिरता के लिए ख़तरा बनती जा रही है।

























