फिल्म धुरंधर में कहानी पाकिस्तान की गलियों में उतरती है। रहमान डकैत और कराची के ल्यारी की दुनिया दिखाई गई है। नकली नोट, ISI और अंडरवर्ल्ड का गठजोड़ सामने आता है। मुंबई हमले के दौरान आतंकी और हैंडलर की असली बातचीत का दृश्य भी दिखाया गया है। फिल्म सीधे पाकिस्तान की दुखती नस पर हाथ रखती है। सोशल मीडिया पर पाक यूज़र्स की प्रतिक्रियाएं साफ़ दिख रही हैं। कोई इसे सच्चाई मान रहा, कोई काल्पनिक बता रहा।
पाकिस्तान इतना क्यों बौखलाया?
फिल्म में भारत को घर में घुसकर जवाब देते दिखाया गया है। यही बात पाकिस्तान को चुभ रही है। कहानी 1999 के कंधार हाईजैक से शुरू होती है। 2012-2017 के ऑपरेशन ल्यारी तक जाती है। फिल्म में बार-बार सुनाई देता है—“ये नया हिंदुस्तान है।” अंत में रहमान डकैत की मौत के बाद संवाद आता है—अब भारत घर में घुसकर मारता है। यह संदेश वर्तमान राजनीति से भी जुड़ता दिखता है। अगले भाग के संकेत भी इसमें मिलते हैं।
कौन है भारत का अंडरकवर हीरो?
फिल्म का हीरो जसकीरत सिंह रांगी है। उसे पाकिस्तान में हमजा अली मज़ारी के रूप में भेजा जाता है। उसका मिशन आतंक-अंडरवर्ल्ड को खत्म करना है। भारतीय एजेंसियां जेल वाले कैदियों को भी इस काम में लगाती हैं। कहानी में दिखाया गया है कि आतंकवाद सिर्फ भारत नहीं, दुनिया का दुश्मन है। इसके पीछे पाकिस्तान का हाथ अक्सर देखा गया है। फिल्म इसी वास्तविक राजनीति का सिनेमाई चित्रण करती है।
क्या अजय सान्याल अजीत डोभाल से प्रेरित?
आर. माधवन ने अजय सान्याल का किरदार निभाया है। लुक और व्यक्तित्व में अजीत डोभाल की झलक महसूस होती है। हालांकि इसे तथ्यात्मक आधार नहीं कहा गया। उरी में परेश रावल का किरदार भी डोभाल से मिलता था। भारत-पाक कार्रवाई की कहानियों में इस मास्टरमाइंड छवि का इस्तेमाल सहज लगता है। निर्देशक आदित्य धर ने उसी शैली को आगे बढ़ाया। कहानी में रणनीति, सूझबूझ और साहस की झलक साफ है।
क्या बॉक्स ऑफिस से बड़ी है कहानी?
धुरंधर ने कमाई से ज्यादा चर्चा से धमाल मचाया। पाकिस्तान में यह फिल्म डर के साथ देखी जा रही है। वहां के टीवी और सोशल मीडिया पर इसे लेकर बहस छिड़ गई है। भारत में भी दर्शक नए टेम्परामेंट की फिल्में पसंद कर रहे हैं। देशभक्ति अब केवल बॉर्डर तक सीमित नहीं। पीओके, बलूचिस्तान, कराची—दर्शक हर जगह भारत की जीत देखना चाहते हैं। फिल्म इस भाव को नया विस्तार देती है।
पहले किन फिल्मों में दिखा ऐसा?
सरफ़रोश, बॉर्डर, LOC, लक्ष्य में पाकिस्तान की हार दिखाई गई। फिर ऋचा चड्ढा वाली राज़ी में इंटेल मिशन देखा। टाइगर शृंखला और फैंटम ने भी अंदर घुसने की कहानियां दिखाईं। पर धुरंधर की पूरी फिल्म पाकिस्तान पर आधारित है। करीब 90% कहानी वहीं चलती है। घर में घुसकर जवाब—अब फिल्मों का सामान्य ट्रेंड हो गया है। यह समय नए भारत के आत्मविश्वास का है।
दूसरे भाग से और बढ़ेगी गर्मी?
पहले भाग के बाद दर्शकों की उम्मीद बढ़ गई है। सोशल मीडिया की बहस बताती है कि कहानी में अब और बड़ा धमाका बचेगा। पाकिस्तान की राजनीति और अंडरवर्ल्ड को और गहराई से दिखाया जा सकता है। देशभक्ति का स्वर अब वैश्विक हो गया है। भारत अपनी ताकत दिखाने में पीछे नहीं। जब दूसरा भाग आएगा, प्रतिक्रियाओं की आग और तेज होगी। भारतीय सिनेमा भी इस बदलाव का हिस्सा बन चुका है।

























