ब्रेन ट्यूमर एक प्रकार का कैंसरयुक्त विकास है जो आपके दैनिक कामकाज को प्रभावित कर सकता है। यह किसी भी उम्र में हो सकता है, लेकिन बुजुर्गों में इसके होने की संभावना अधिक होती है। ब्रेन ट्यूमर के सामान्य लक्षणों में सिरदर्द, दौरे और दृष्टि संबंधी समस्याएं शामिल हैं, लेकिन एक लक्षण जिसे अक्सर अनदेखा कर दिया जाता है, वह है सोने में कठिनाई।
ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित कई रोगियों को रात में सोने में कठिनाई होती है या बार-बार जागना पड़ता है। ऐसी समस्याएं नींद की गुणवत्ता को प्रभावित करती हैं और कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बनती हैं। नींद की कमी से दिन में नींद आना, ध्यान की कमी, भ्रम, याददाश्त में कमी और थकान जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
इन बीमारियों का भी बढ़ता है खतरा
लगातार खराब नींद लेने से उच्च रक्तचाप, मोटापा, मनोभ्रंश और कई अन्य बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है। ऐसे में कुछ बातों का ध्यान रखकर इस समस्या से बचा जा सकता है। कई स्वास्थ्य विशेषज्ञ सलाह देते हैं कि खराब नींद के पैटर्न को नजरअंदाज करना हानिकारक हो सकता है। यह ब्रेन ट्यूमर का संकेत भी हो सकता है। ऐसे में समय पर इसकी पहचान और रोकथाम स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद हो सकती है। जिससे कई गंभीर समस्याओं से बचाव के अलावा, मस्तिष्क स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाया जा सकता है।
कैसे करें बचाव
न्यूरोलॉजिस्ट ने नींद से जुड़े लक्षणों को समझने और ब्रेन ट्यूमर के निदान के लिए कुछ ‘लाल निशानों’ की पहचान की है, जिन्हें भूलकर भी नज़रअंदाज़ नहीं करना चाहिए। जैसे सोने में दिक्कत के साथ-साथ याददाश्त कमज़ोर होना, सिरदर्द, दृष्टि संबंधी समस्याएँ, दौरे पड़ना, वज़न कम होना आदि। अगर कोई व्यक्ति इन लक्षणों से पीड़ित है, तो उसे तुरंत ब्रेन ट्यूमर की जाँच करवानी ज़रूरी है।
इसका इलाज संभव
अगर समय पर पहचान हो जाए, तो ब्रेन ट्यूमर का इलाज संभव है और कैंसर से पूरी तरह ठीक होने की संभावना बढ़ जाती है। इलाज के विकल्पों में न्यूरोसर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी शामिल हैं। इसके साथ ही, नींद से जुड़े लक्षणों का इलाज भी संभव है। नींद से जुड़ी समस्याओं के लिए, दवाएँ लेने से पहले ‘स्लीप हाइजीन’ यानी नींद की सही आदतें अपनाने की सलाह दी जाती है। इसमें रोज़ाना एक निश्चित समय पर सोने और जागने, सोने से पहले कैफीन या उत्तेजक पदार्थों से परहेज़ करने, स्क्रीन टाइम कम करने जैसे उपाय शामिल हैं। यदि आवश्यक हो तो मेलाटोनिन, बेंजोडायजेपाइन, ऑरेक्सिन एंटागोनिस्ट जैसी दवाओं का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन ऐसा केवल चिकित्सीय जांच के बाद ही किया जाना चाहिए।

























