आंध्रा प्रदेश में श्रीकाकुलम जिले के प्रसिद्ध वेंकटेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ पड़ी। मंदिर में विशेष पूजा का आयोजन था, और जैसे-जैसे भक्तों की संख्या बढ़ती गई, स्थिति बिगड़ती चली गई। अचानक अफरा-तफरी मच गई, लोग एक-दूसरे को धक्का देने लगे और कुछ लोग जमीन पर गिर गए। देखते ही देखते भगदड़ मच गई, जिसमें कई श्रद्धालु दब गए। मौके पर चिल्लाहट और चीख-पुकार मच गई। पुलिस और मंदिर प्रशासन ने तुरंत राहत कार्य शुरू किया, लेकिन तब तक 10 लोगों की जान जा चुकी थी।
हादसे में कितने लोग घायल हुए?
इस हादसे में कई लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं जिन्हें पास के अस्पतालों में भर्ती कराया गया है। डॉक्टर्स के मुताबिक कुछ की हालत नाज़ुक बनी हुई है। अस्पताल प्रशासन ने आपातकाल घोषित कर दिया है ताकि घायलों को तुरंत इलाज मिल सके। मौके पर एंबुलेंस और रेस्क्यू टीम लगातार काम कर रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि भीड़ इतनी ज्यादा थी कि लोगों को सांस लेने की जगह तक नहीं मिल रही थी। प्रशासन ने अब इलाके को सील कर दिया है और जांच शुरू कर दी गई है।
प्रधानमंत्री मोदी ने क्या कहा?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दर्दनाक हादसे पर गहरा शोक जताया है। उन्होंने प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष से प्रत्येक मृतक के परिजनों को दो-दो लाख रुपये और घायलों को पचास हजार रुपये देने की घोषणा की। उन्होंने एक्स पर लिखा कि श्रीकाकुलम में हुई यह दुर्घटना पूरे देश को झकझोर देने वाली है। प्रधानमंत्री ने लिखा, “मेरा दिल उन परिवारों के साथ है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया। मैं ईश्वर से प्रार्थना करता हूं कि घायल जल्द स्वस्थ हों।”
मुख्यमंत्री नायडू की पहली प्रतिक्रिया क्या रही?
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हादसे पर गहरा दुख जताया और तत्काल जांच के आदेश दिए। उन्होंने कहा कि यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रतीक है, और वहां ऐसी त्रासदी होना बेहद दुखद है। उन्होंने प्रशासन को निर्देश दिया कि घायलों को सर्वोत्तम इलाज मिले और किसी भी पीड़ित को मदद से वंचित न रखा जाए। नायडू ने कहा कि राज्य सरकार पीड़ित परिवारों के साथ खड़ी है और सभी जरूरी सहायता दी जाएगी।
प्रशासन ने कैसे संभाली स्थिति?
जैसे ही भगदड़ मची, स्थानीय पुलिस और एनडीआरएफ की टीमें मौके पर पहुंच गईं। राहत कार्य युद्ध स्तर पर शुरू किया गया। घायलों को स्ट्रेचर और वाहनों की मदद से अस्पताल भेजा गया। पुलिस ने बाद में भीड़ को नियंत्रित करने के लिए नए बैरिकेड लगाए। अधिकारियों का कहना है कि मंदिर परिसर में भीड़ प्रबंधन की कमी एक बड़ी वजह रही। प्रशासन अब सुरक्षा व्यवस्था की समीक्षा कर रहा है ताकि भविष्य में ऐसा हादसा दोबारा न हो।
क्या लापरवाही बनी हादसे की वजह?
स्थानीय सूत्रों के मुताबिक, पूजा के दौरान भीड़ बढ़ने पर मंदिर के द्वार खुला रखने की वजह से भगदड़ मच गई। कई श्रद्धालु बिना लाइन के अंदर घुसने लगे जिससे अफरा-तफरी हुई। कुछ प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि वहां कोई पुलिसकर्मी नहीं था जो भीड़ को रोक सके। अब जांच दल यह पता लगा रहा है कि क्या आयोजन समिति ने पहले से कोई सुरक्षा योजना बनाई थी या नहीं।
शोक में डूबा आंध्र प्रदेश
इस दर्दनाक हादसे के बाद आंध्र प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई है। लोगों ने सोशल मीडिया पर मृतकों के लिए प्रार्थना की और घायलों के जल्द स्वस्थ होने की दुआ की। मंदिर परिसर को अस्थायी रूप से बंद कर दिया गया है। राज्य सरकार ने घोषणा की है कि मंदिरों में बड़े आयोजनों के दौरान अब सख्त भीड़ नियंत्रण नियम लागू होंगे। पूरे जिले में इस हादसे ने प्रशासन और जनता दोनों को झकझोर दिया है।

























