नई दिल्ली. पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने जिस तेज़ी से राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर कदम उठाने शुरू किए हैं, वो सिर्फ एक एहतियात नहीं बल्कि एक स्पष्ट संदेश हैं—अब बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। गृह मंत्रालय की हालिया गाइडलाइंस को महज़ रूटीन कार्रवाई मानना भूल होगी। ये रणनीतिक संकेत हैं—ऐसी तैयारियाँ जो युद्ध से ठीक पहले की जाती हैं।
‘हमले’ की नहीं, ‘हमलावर’ बनने की तैयारी
हवाई सायरन की टेस्टिंग, नागरिकों को हमले के समय की ट्रेनिंग देना, बिजली का ब्लैकआउट सिस्टम तैयार करना, और संवेदनशील ठिकानों को छिपाने की कोशिशें—ये सब किसी आसन्न खतरे की आशंका नहीं, बल्कि संभावित कार्रवाई का हिस्सा हैं। भारत अब रक्षात्मक नहीं, आक्रामक सुरक्षा नीति की ओर बढ़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक, सेना को तीनों मोर्चों—ज़मीन, हवा और समुद्र—से एक साथ हमला करने की रणनीति पर काम करने को कहा गया है।
शहरों पर भी नजर: अब युद्ध सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा
अब अगर पाकिस्तान युद्ध छेड़ता है, तो वो सिर्फ एलओसी या रेगिस्तान तक सीमित नहीं रहेगा। दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद जैसे बड़े शहर भी निशाने पर हो सकते हैं। इसीलिए नागरिक सुरक्षा को लेकर भी सख़्ती से काम किया जा रहा है। मॉक ड्रिल्स, रिहर्सल, और निकासी योजनाएं लागू की जा रही हैं ताकि जनता को हमले की स्थिति में सटीक निर्देश मिल सकें।
पाकिस्तान का डर अब खुले में है
पहलगाम के नरसंहार के बाद पाकिस्तान अंदर से घबरा गया है। उसकी सीमाओं पर भारतीय सेना की बढ़ती तैनाती और समुद्री चौकसी से उसका कूटनीतिक और सामरिक मनोबल टूटता दिख रहा है। खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार, पाकिस्तानी फौज को डर है कि भारत जवाबी हमला कर सकता है—और यह सिर्फ जवाब नहीं, करारा प्रहार हो सकता है।
भारत का बदला तय है, वक़्त का इंतज़ार है
भारतीय राजनीति, सेना और सुरक्षा एजेंसियों के इशारे साफ हैं—अब आतंक का जवाब सिर्फ बयान से नहीं, कार्रवाई से दिया जाएगा। जो तैयारियाँ ज़मीनी स्तर पर हो रही हैं, वो संकेत हैं कि भारत अब सिर्फ हमलों का शिकार नहीं रहेगा—अब हमलावर भी होगा। पाकिस्तान के लिए ये चेतावनी काफी है: अगली गलती आख़िरी साबित हो सकती है।

























