नई दिल्ली. हैदराबाद से 132 किलोमीटर दूर नागरकुरनूल में बन रही दुनिया की सबसे लंबी 42 किलोमीटर लंबी जल सुरंग में आठ मजदूरों के फंसे होने को 62 घंटे से अधिक समय बीत चुका है। बचाव कार्य में 584 लोगों की टीम लगी हुई है। इसमें सेना, नौसेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, आईआईटी चेन्नई और एलएंडटी कंपनी के विशेषज्ञ शामिल हैं। लेकिन अभी तक फंसे हुए कर्मचारियों से कोई संपर्क नहीं हो पाया है।
रैट माइनर को सौंपी गई जिम्मेदारी
इसके बाद अब यह कार्य 12 रैट माइनर्स को सौंप दिया गया है। यह वही व्यक्ति है जिसने 2023 में उत्तराखंड के सिलकियारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बचाया था। सोमवार दोपहर को 6 रैट माइनर्स की एक टीम पहुंची। शेष 6 सदस्यीय टीम कल (बुधवार) पहुंचेगी। इस समय यह टीम केवल जाकर स्थिति का आकलन करेगी। नौसेना के जवान इस कार्य में रैट माइनर्स टीम की सहायता करेंगे। वे आईआईटी चेन्नई के विशेष पुश कैमरों और रोबोट की मदद से सही उत्खनन मार्ग दिखाएंगे। 22 फरवरी को श्रीसलम लेफ्ट बैंक कैनाल (एसएलबीसी) सुरंग का एक हिस्सा ढह गया।
घुटनों तक पानी और मलबे के बीच बचाव दल वापस लौटा
बचाव दल ने रविवार को ही बचाव कार्य शुरू कर दिया था। बचाव दल ने सुरंग में दुर्घटना स्थल का निरीक्षण किया। जब कोई रास्ता नहीं बचा तो वह वापस लौट आई। सोमवार को एनडीआरएफ और एसडीआरएफ के जवानों ने 50-50 हॉर्स पावर के पांच पंपों की मदद से पानी निकालकर रेलवे ट्रैक बिछा दिया। सुरंग में प्रकाश की भी व्यवस्था की गई थी। टीम मलबे के पास पहुंच गई है। सोमवार सुबह बचाव दल मलबे के पास पहुंचा और करीब आधे घंटे तक मजदूरों के नाम पुकारता रहा, लेकिन दूसरी तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।

























