National New: भारत की अंतरिक्ष यात्रा एक बार फिर नया मोड़ लेने जा रही है। 140 करोड़ भारतीयों की आंखों में सालों से पल रहा सपना अब हकीकत बनने के बेहद करीब है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला आज शाम 5:30 बजे (IST) अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) की ऐतिहासिक यात्रा पर निकलने वाले हैं। यह पल न सिर्फ उनके परिवार बल्कि पूरे भारत के लिए गौरव और गौरव से भरा होगा।
पहली बार कोई भारतीय आई.एस.एस. पहुंचेगा
यह पहली बार होगा जब कोई भारतीय अंतरिक्ष यात्री आईएसएस जैसे आधुनिक अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचेगा। शुभांशु इस ऐतिहासिक मिशन में पायलट की भूमिका निभा रहे हैं। 1984 में विंग कमांडर राकेश शर्मा सोवियत संघ के मिशन के तहत अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय बने थे। लेकिन शुभांशु की इस यात्रा को वैश्विक स्तर पर भारत की वैज्ञानिक क्षमता का लिटमस टेस्ट माना जा रहा है।
स्वयंसिद्ध-4: भारत की आशाओं का मिशन
एक्सिओम-4 मिशन के तहत चार सदस्यीय दल फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से उड़ान भरेगा। उनके साथ अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री और मिशन कमांडर पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की और हंगरी के टिबोर कापू भी होंगे। मौसम और तकनीकी कारणों से इस मिशन को पहले कई बार टाला गया था, लेकिन अब प्रक्षेपण के लिए सब कुछ तैयार है।
अंतरिक्ष में 14 दिन, दुनिया से जुड़ाव
इस मिशन में चालक दल 14 दिनों तक आईएसएस में रहेगा और अंतरिक्ष विज्ञान, मानव जीवन, शिक्षा और संचार से जुड़े कई प्रयोग करेगा। उम्मीद है कि इस दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी टीम से संपर्क कर सकते हैं। स्कूली छात्रों और इसरो वैज्ञानिकों से बातचीत भी इस मिशन का हिस्सा है, जो प्रेरणा का स्रोत बनेगा।
गगनयान की राह पर मजबूत पड़ाव
शुभांशु शुक्ला का चयन भारत के महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए पहले ही हो चुका है। यह मिशन उन्हें व्यावहारिक अनुभव, अंतरिक्ष में आपात स्थितियों के लिए प्रशिक्षण और भविष्य की उड़ानों के लिए मूल्यवान समझ प्रदान करेगा। इस मिशन पर इसरो करीब 550 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है, जो गगनयान की तैयारी का एक अहम हिस्सा है।
लखनऊ का बेटा, देश का गौरव
10 अक्टूबर 1985 को लखनऊ में जन्मे शुभांशु शुक्ला ने सिटी मॉन्टेसरी स्कूल से अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की और बाद में IISc बैंगलोर से एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम.टेक की डिग्री हासिल की। उन्हें भारतीय वायुसेना के सबसे अनुभवी पायलटों में गिना जाता है। उन्हें सुखोई, मिग, जगुआर और अन्य विमान उड़ाने का 2000 घंटे से ज़्यादा का अनुभव है।
लखनऊ में उत्सवी माहौल
शुभांशु की ऐतिहासिक उड़ान को लेकर लखनऊ में जश्न का माहौल है। उनके स्कूल ने लाइव लॉन्च देखने के लिए बड़ी स्क्रीन लगाई हैं। हर गली, हर चौराहे पर बधाई होर्डिंग दिख रही हैं। उनकी मां और बहन ने कहा, “हमारा बेटा सिर्फ़ हमारे लिए ही नहीं, बल्कि पूरे भारत के लिए हीरो बन गया है।” शुभाशु शुक्ला की यह उड़ान भारत की अंतरिक्ष महत्वाकांक्षाओं का एक नया सवेरा है। यह सिर्फ एक मिशन नहीं है, बल्कि 140 करोड़ दिलों की धड़कनों का साझा सपना है – एक ऐसा सपना जो आज हकीकत बन रहा है।

























