Sports News: कुछ नाम रनों से नहीं, स्टांस से पहचाने जाते हैं। 2025 के आईपीएल में जब 14 साल का दुबला-पतला लड़का बल्ला लेकर मैदान में उतरा तो किसी को नहीं पता था कि ये सिर्फ डेब्यू नहीं-एक युग की शुरुआत है. लखनऊ के खिलाफ पहला छक्का सिर्फ़ शॉट नहीं था, यह एक बयान था। वैभव सूर्यवंशी ने बल्ला नहीं घुमाया, उन्होंने इतिहास को इशारा किया- “अब आप मेरी बारी लिखो।” और तीसरे मैच में सिर्फ़ 35 गेंदों में शतक बनाकर उन्होंने वो कर दिखाया जो कल्पना से परे था। शार्दुल, सिराज, इशांत और राशिद जैसे गेंदबाज़ सिर्फ़ गेंद नहीं फेंक रहे थे- वे अपने अनुभव के वज़न के साथ खड़े थे। लेकिन वैभव ने अनुभव के ख़िलाफ़ आत्मविश्वास की जीत दर्ज की।
यह कहानी क्रिकेट की नहीं, चेतना की है
हर कोई उसकी उम्र पूछ रहा है, लेकिन कोई नहीं समझता कि वह उम्र से नहीं, ऊर्जा से खेल रहा है। वह 14 साल की शानो-शौकत कर रहा है, जो 24 का सोचता है, और 34 का अफ़सोस करता है कि काश इतनी जल्दी समझ आ जाती। और फिर वो पल आया जब उसकी मुलाक़ात विराट कोहली से हुई
वैभव के जीवन भर गूंजता रहेगा विराट
हर सितारे को अपना ध्रुव चाहिए होता है। वैभव को विराट मिल गया। मुलाकात बेंगलुरु में हुई, लेकिन विराट ने जो कहा, वह वैभव के जीवन भर गूंजता रहेगा। विराट ने कहा, “सफलता मिल गई है, लेकिन उसका सिर मत चढ़ाओ। जमीन जितनी ऊंची होगी, पैर उतने ही जमीन में धंसे रहेंगे। अगर मेहनत नहीं रुकी, तो कोई नहीं रुकेगा।” ये शब्द किसी कोचिंग क्लास का लेक्चर नहीं थे – ये उस व्यक्ति का अनुभव था जिसने भीड़ में चमकने के बजाय भीड़ को पीछे छोड़ने का हुनर सीखा है। ये एक चेतावनी भी है। वैभव को सब कुछ जल्दी मिल गया – पैसा, शोहरत, सुर्खियाँ। लेकिन अब उसे विराट की तरह संयम, साधना और संतुलन की जरूरत है।
क्या वैभव क्रिकेट को नया दिशा देंगे?
अब सवाल ये नहीं है कि वैभव क्या कर सकता है…सवाल ये है – वो खुद क्या करेगा? क्या वो क्रिकेट को करियर नहीं, करुणा के तौर पर देखेगा? क्या वो हर चौके में भी विनम्रता बनाए रखेगा? क्या वो एक रन के पीछे शतक जितनी मेहनत करेगा? और प्रेरणाएं सिर्फ़ जीत नहीं दिलाती, बल्कि दिशा भी देती हैं। क्रिकेट को एक नया चेहरा मिल गया है – और उस चेहरे की उम्र नहीं पूछी जाती, उसका असर महसूस किया जाता है।

























