Tech News: चैटजीपीटी ने बेशक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के क्षेत्र में क्रांति ला दी है, लेकिन हाल ही में हुए एक अध्ययन ने इसके दीर्घकालिक प्रभावों के बारे में गंभीर चिंता जताई है। शोध से पता चलता है कि चैटजीपीटी जैसे एआई टूल का लगातार उपयोग मानव संज्ञानात्मक क्षमताओं, विशेष रूप से आलोचनात्मक सोच और निर्णय लेने के कौशल को खराब कर सकता है। एआई द्वारा जनित सामग्री पर बहुत अधिक निर्भर रहने वाले उपयोगकर्ता अक्सर जानकारी को सत्यापित करने में विफल रहते हैं, जिससे स्वतंत्र विचार में गिरावट आती है। इस निर्भरता के परिणामस्वरूप व्यक्ति खराब या गलत निर्णय ले सकते हैं, जो एआई आउटपुट की सटीकता पर गलत भरोसे से प्रेरित होते हैं। अध्ययन संज्ञानात्मक कार्यों को संरक्षित करने के लिए संतुलित, विचारशील एआई उपयोग की आवश्यकता को रेखांकित करता है।
चैटग्प्ट: क्रांति या खतरा?
पिछले कुछ सालों में चैटग्प्ट जैसे जनरेटिव एआई टूल ने आम लोगों की ज़िंदगी आसान बना दी है। इससे छात्र, लेखक, व्यवसायी और तकनीकी विशेषज्ञ सभी अपने काम तेज़ी से निपटा रहे हैं। लेकिन अब सवाल उठ रहे हैं- क्या यह सुविधा इंसान के दिमाग को सुस्त बना रही है? हार्वर्ड यूनिवर्सिटी और एमआईटी के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए इस अध्ययन से पता चला है कि जो लोग चैटग्प्ट या इसी तरह के एआई टूल का बार-बार इस्तेमाल करते हैं, उनकी सोचने और विश्लेषण करने की क्षमता खत्म हो जाती है। उन्हें किसी भी जानकारी की जांच या पुष्टि करने की आदत नहीं होती है।
निर्णय क्षमता में गिरावट
शोध में पाया गया कि जब प्रतिभागियों को चैटजीपीटी द्वारा सुझाए गए उत्तर दिए गए, तो उन्होंने बिना किसी संदेह या मूल्यांकन के उन्हें स्वीकार कर लिया। इससे यह निष्कर्ष निकला कि एआई की उत्तरों पर आँख मूंदकर भरोसा करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है।
ग़लत सूचना का ख़तरा
चैटजीपीटी, हालांकि उन्नत तकनीक पर आधारित है, लेकिन इसमें गलतियाँ संभव हैं। कई बार यह तथ्यों में गड़बड़ी कर देता है या गलत सुझाव देता है। ऐसे में अगर उपयोगकर्ता पूरी तरह से इस पर निर्भर हो जाते हैं, तो नतीजा गलत निर्णय या भ्रामक जानकारी हो सकता है। एआई पर अत्यधिक निर्भरता का एक और दुष्परिणाम यह है कि मनुष्य स्वयं सोचना और समस्याओं का समाधान करना बंद कर देता है। इससे न केवल उसकी रचनात्मकता कम होती है, बल्कि मानसिक चपलता भी प्रभावित होती है।
विशेषज्ञों की चेतावनी
विशेषज्ञों का कहना है कि चैटग्प्ट जैसे उपकरणों का इस्तेमाल सहायक के तौर पर किया जाना चाहिए, न कि एकमात्र स्रोत के तौर पर। मनुष्य को जानकारी की पुष्टि करनी चाहिए और खुद उसका विश्लेषण करना चाहिए, तभी वह गलत जानकारी से बच सकता है।
क्या करें, क्या न करें?
- मार्गदर्शन के लिए AI का उपयोग करें, अंतिम निर्णय स्वयं लें।
- अन्य स्रोतों से तथ्यों की सत्यता की जाँच करें।
- सोचने और सीखने की प्रक्रिया को मत छोड़ो।
- चैटग्प्ट को एक शिक्षक की तरह लें, लेकिन मस्तिष्क को एक छात्र की तरह रखें।
सरकार और शिक्षा जगत की भूमिका
शोधकर्ताओं ने सुझाव दिया कि स्कूलों, कॉलेजों और सरकारी नीतियों में एआई के इस्तेमाल को लेकर स्पष्ट दिशा-निर्देश तैयार किए जाने चाहिए। छात्रों को तकनीक का संतुलित और विवेकपूर्ण उपयोग करना सिखाया जाना चाहिए।

























