International News: भारत अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में एक और ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए तैयार है। भारतीय वायु सेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) के लिए 14 दिवसीय मिशन पर रवाना होंगे। यह उड़ान अमेरिका के फ्लोरिडा में कैनेडी स्पेस सेंटर से स्पेसएक्स के फाल्कन-9 रॉकेट और क्रू ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट पर एक्सिओम-4 मिशन के तहत लॉन्च होगी। शुभांशु शुक्ला अंतर्राष्ट्रीय मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन में भाग लेने वाले दूसरे भारतीय अंतरिक्ष यात्री बनेंगे। यह भारत की बढ़ती अंतरिक्ष क्षमताओं और वैश्विक सहयोग के प्रति उसकी प्रतिबद्धता में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
“यह सचमुच रॉकेट साइंस है” – प्रो. सूद
इस जटिल मिशन के तकनीकी पहलुओं पर बोलते हुए, भारत सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि तकनीकी दृष्टिकोण से मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन अविश्वसनीय रूप से चुनौतीपूर्ण हैं। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा, “यह वास्तव में रॉकेट साइंस है। इन मिशनों में सैकड़ों घटक शामिल होते हैं, विशेष रूप से तरल ईंधन आधारित प्रणालियाँ, जिनका एकीकरण अत्यंत जटिल है। यह ऐसा कुछ नहीं है जहाँ आप बस सब कुछ इकट्ठा कर लें और उम्मीद करें कि यह जादू की तरह काम करेगा।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि ऐसे मिशनों में प्रत्येक तकनीकी विवरण को अत्यंत सावधानी से देखा जाता है और कठोर परीक्षण से गुजरना पड़ता है।
तरल ऑक्सीजन रिसाव से सुरक्षा संबंधी चिंताएं बढ़ीं
हाल ही में, तकनीकी समस्या के कारण मिशन लॉन्च को स्थगित कर दिया गया था। स्पेसएक्स टीम ने लिक्विड ऑक्सीजन सप्लाई लाइन में एक रिसाव का पता लगाया, जिसे प्रोफेसर सूद ने बेहद गंभीर और “अप्रत्याशित रूप से खतरनाक” बताया। उन्होंने बताया कि एक छोटा सा रिसाव भी मिशन के लिए एक बड़ा खतरा बन सकता है, खासकर उच्च तापमान और उच्च दबाव की स्थितियों में। उन्होंने कहा, “सब कुछ ठीक से मापा जाता है। किसी भी रिसाव को बर्दाश्त करने का कोई सवाल ही नहीं है।” यह घटना मानव अंतरिक्ष उड़ान में बरती जाने वाली सावधानी के स्तर को उजागर करती है, जहां सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता बनी हुई है।
एक्सिओम-4 अंतर्राष्ट्रीय सहयोग का एक मॉडल बना
एक्सिओम-4 मिशन सिर्फ़ तकनीकी कौशल का प्रदर्शन ही नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग का एक शानदार उदाहरण भी है। जब लिक्विड ऑक्सीजन लीक की पहचान हुई, तो स्पेसएक्स, इसरो और अन्य वैश्विक हितधारकों ने संयुक्त रूप से सुरक्षा कारणों से लॉन्च को स्थगित करने का फैसला किया। प्रोफेसर सूद ने इसे “सच्चा सहयोग और सह-विकास की भावना” बताया। उन्होंने कहा, “यह इस बारे में नहीं है कि कौन ज़्यादा कर रहा है – यह एक सामूहिक प्रयास है जिसमें सभी पक्ष समान भागीदार हैं।”
भारत के गगनयान मिशन की ओर एक मजबूत कदम
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की एक्सिओम-4 मिशन में भागीदारी भारत के स्वदेशी मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम-गगनयान की नींव को भी मजबूत करती है। इस मिशन के तहत भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की कक्षा में भेजा जाएगा। एक्सिओम-4 में भारत की भागीदारी से पता चलता है कि देश अब मानव अंतरिक्ष उड़ान के क्षेत्र में तकनीकी रूप से सक्षम और भरोसेमंद भागीदार है। यह न केवल भारतीय वैज्ञानिकों और अंतरिक्ष यात्रियों की उपलब्धि को दर्शाता है बल्कि भारत की बढ़ती अंतरिक्ष शक्ति की अंतरराष्ट्रीय मान्यता को भी दर्शाता है।
“सुरक्षा पहले, सुरक्षा हमेशा” – मिशन मंत्र
इस महत्वपूर्ण मिशन में सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता दी गई है। प्रोफेसर सूद ने दोहराया कि मिशन से संबंधित हर निर्णय मानव सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए लिया गया। उन्होंने मिशन की सफलता पर पूरा भरोसा जताते हुए कहा, “मुझे पूरा विश्वास है कि हम एक सफल मिशन देखेंगे, क्योंकि हर चरण में हमारा आदर्श वाक्य ‘सुरक्षा पहले, सुरक्षा हमेशा’ रहा है।” यह कथन न केवल तकनीकी उन्नति के लिए बल्कि सुरक्षा प्रोटोकॉल में वैश्विक मानकों का पालन करने के लिए भारत की प्रतिबद्धता को भी दर्शाता है।
वैश्विक अंतरिक्ष अन्वेषण में भारत की बढ़ती उपस्थिति
एक्सिओम-4 मिशन भारत की वैज्ञानिक उपलब्धियों और अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में बढ़ती प्रमुखता का प्रमाण है। शुभांशु शुक्ला की यात्रा भारतीय युवाओं की अगली पीढ़ी को प्रेरित करेगी और ऐसे और मील के पत्थर स्थापित करने का मार्ग प्रशस्त करेगी। यह इस बात का प्रतीक है कि भारत अब वैश्विक अंतरिक्ष यात्रा में सिर्फ़ भागीदार नहीं है, बल्कि एक निर्णायक और भरोसेमंद भागीदार है।

























